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4 घंटे बाद आएगी जनसुराज की कैंडिडेट्स लिस्ट:वाई बी गिरी, गणितज्ञ केसी सिन्हा, एक्टर रितेश पांडेय को मिल सकता है टिकट

जनसुराज

अपडेटेड Oct 09, 2025 पर 10:55 AM

जनसुराज उम्मीदवार-सूची-2025उम्मीदवारों का ऐलान कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर NDA और महागठबंधन दोनों ही गठबंधन सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बना पाए हैं

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Jan Suraj: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार मुकाबला सिर्फ NDA और महागठबंधन के बीच नहीं, बल्कि तीसरे मोर्चे जन सुराज के साथ त्रिकोणीय होने जा रहा है। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर आज यानी गुरुवार (9 अक्टूबर) को अपनी पार्टी की पहली उम्मीदवार सूची जारी करने जा रहे हैं। इस लिस्ट में 40 सुरक्षित और रणनीतिक सीटों पर जनसुराज उम्मीदवारों के नाम शामिल हो सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, इस सूची में वही लोग के नाम शामिल होंगे जो प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज पदयात्रा’ से जुड़े रहे हैं। इनमें शिक्षित युवा, सामाजिक कार्यकर्ता, किसान संगठनों के प्रतिनिधि और ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े स्थानीय चेहरे होंगे। पार्टी का लक्ष्य राजनीति में नए और साफ-सुथरी छवि वाले लोगों को मौका देना है, ताकि जनता को एक अलग और ईमानदार विकल्प मिल सके।

जातीय समीकरण और राजनीतिक गणित

करगहर क्षेत्र में कुर्मी-कोइरी और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं। यहां करीब 50 से 60 हजार कुर्मी-कोइरी और 30 से 35 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। वहीं राघोपुर सीट को लालू परिवार का गढ़ कहा जाता है। अगर प्रशांत किशोर यहां से चुनाव लड़ते हैं, तो यह तेजस्वी यादव के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।

इस पहली सूची को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या प्रशांत किशोर खुद भी मैदान में उतरेंगे? उन्होंने अब तक इस पर कुछ साफ नहीं कहा है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वे सासाराम जिले की करगहर सीट से मैदान में उतर सकते हैं। वहीं, हाल ही में दिए इंटरव्यू में PK ने बताया था कि, “दो ही जगहों से लड़ना चाहिए, एक जन्मभूमि से और दूसरी कर्मभूमि से। जन्मभूमि के हिसाब से मुझे सासाराम के करगहर विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहिए और कर्मभूमि के हिसाब से राघोपुर से।” इस बयान के बाद से राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं कि वे या तो करगहर या राघोपुर से चुनाव लड़ सकते हैं।

सभी सीटों पर उतरेगी जन सुराज

प्रशांत किशोर ने पहले ही घोषणा कर दी है कि जन सुराज 243 सीटों में से सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। खास बात यह है कि पार्टी ने लगभग 40 प्रतिशत सीटों पर महिला उम्मीदवार देने का फैसला किया है। उनका कहना है कि यह चुनाव किसी राजनीतिक दल से गठबंधन का नहीं, बल्कि जनता से गठबंधन का होगा।

उम्मीदवार सूची में संभावित नाम और उनका महत्व

नामपृष्ठभूमि / गुणचुनौतियाँ / टिप्पणी
YB गिरीराजनीतिक सक्रियता या क्षेत्रीय पहचान हो सकती हैयदि गिरी पहले किसी पार्टी से जुड़े रहे हों तो जनता और विरोध का सामना करना पड़े
K. C. सिन्हा“गणितज्ञ” का उपनाम बताता है उन्होंने शैक्षिक या अकादमिक क्षेत्र में काम किया होगाराजनीति में अनुभव की कमी हो सकती है
रितेश पांडेयभोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का नाम, जनमानस में पहचानकलाकार से राजनीति में स्विच करना आसान नहीं — क्षेत्रीय संगठन जरूरी

NDA और महागठबंधन दोनों में सीट बंटवारे पर खींचतान जारी

वहीं दूसरी ओर, NDA और महागठबंधन (INDIA Block) दोनों ही गठबंधन सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बना पाए हैं। महागठबंधन की ओर से VIP प्रमुख मुकेश सहनी बार-बार दावा कर रहे हैं कि सीट बंटवारे का ऐलान आज नहीं तो कल हो जाएगा, लेकिन अब तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। आंतरिक कलह और सीटों की दावेदारी को लेकर लगातार चर्चाएं जारी हैं। वहीं NDA में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है, चिराग पासवान की पार्टी LJP (रामविलास) और जीतन राम मांझी की HAM (Secular) पार्टी को लेकर सीटों का पेंच फंसा हुआ है, जिससे गठबंधन की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।

विश्लेषण एवं संभावना

1.समय-सारणी पर दबाव

4 घंटे में लिस्ट जारी करना महज राजनीतिक रणनीति हो सकती है — यह दिखाने के लिए कि पार्टी सक्रिय और निर्णायक है।

2.स्ट्राइक-जनित उत्साह

यदि सूची में आश्चर्यजनक या प्रसिद्ध नाम होंगे, तो पार्टी को जनता और मीडिया का ध्यान आकर्षित करना आसान होगा।

3.जोखिम तत्व

यदि सूची में स्थानीय नेताओं या जिन क्षेत्रों में संगठन मजबूत नहीं है, उन्हें न छोड़ा गया हो, तो नाराजगी या विरोध हो सकता है।

4.सत्यापन एवं घोषणा

फाइनल सूची से पहले वे नाम “संभावित” ही कहे जा सकते हैं — क्योंकि पार्टी के संदेशों में “सूची जल्द जारी होगी” या “नामों पर मंथन हो रहा है” जैसी भाषा इस्तेमाल हो रही है।

विपक्ष की निगाहें जनसुराज पर

जनसुराज की उम्मीदवार सूची से न केवल जनता बल्कि अन्य दलों में भी हलचल मची हुई है।

  • राजद (RJD) और जदयू (JDU) को डर है कि प्रशांत किशोर का संगठन कई क्षेत्रों में उनके वोट बैंक में सेंध लगा सकता है।
  • वहीं, भाजपा (BJP) इस नए समीकरण को “किंगमेकर फैक्टर” की तरह देख रही है — यानी कुछ सीटों पर जनसुराज तीसरा कोण बन सकता है।
  • राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर पार्टी सही उम्मीदवार चुनती है, तो बिहार की पारंपरिक राजनीति को हिला सकती है।
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सोशल मीडिया पर बढ़ती चर्चा

घोषणा से पहले ही ट्विटर (अब X), फेसबुक और यूट्यूब पर “जनसुराज उम्मीदवार सूची” ट्रेंड कर रहा है
लोगों के बीच यह उत्सुकता है कि क्या प्रशांत किशोर बड़े चेहरों के साथ नई उम्मीदें लेकर आएंगे, या ग्राउंड लेवल कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देंगे।

कुछ लोगों का कहना है कि अगर YB गिरी और KC सिन्हा जैसे शिक्षाविद राजनीति में आएंगे, तो यह बिहार के लिए एक “ज्ञान आधारित राजनीति” की शुरुआत होगी।
वहीं, रितेश पांडेय के प्रशंसक उन्हें “युवा चेहरे की आवाज़” के रूप में देख रहे हैं।

जनसुराज की पारदर्शी प्रक्रिया

जनसुराज पार्टी ने यह भी कहा है कि उम्मीदवारों के चयन में जनता की राय ली जाएगी।
वेब पोर्टल और फील्ड सर्वे के माध्यम से उम्मीदवारों के काम, लोकप्रियता और छवि का आकलन किया जा रहा है।
इसका उद्देश्य है— “राजनीति को प्रोफेशनल नहीं, सर्विस-ओरिएंटेड बनाना।”

आने वाले समय की संभावनाएँ

अगर जनसुराज पार्टी इन नामों को टिकट देती है, तो इसके परिणामस्वरूप:

  • बिहार में नई राजनीति की शुरुआत हो सकती है।
  • शिक्षा, फिल्म और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों के लोग राजनीति में आगे आएंगे।
  • पारंपरिक दलों को अपने संगठन और रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

जनसुराज की यह सूची सिर्फ कुछ नामों की घोषणा नहीं, बल्कि एक “राजनीतिक दृष्टिकोण का दस्तावेज़” होगी।
YB गिरी, K. C. सिन्हा और रितेश पांडेय जैसे चेहरे यह संदेश देंगे कि राजनीति में सिर्फ सत्ता की नहीं, सेवा और सम्मान की भी जगह है।

अगर प्रशांत किशोर इस विविधता को सही तरह से पेश करते हैं, तो 2025 का चुनाव परिणाम जनसुराजबिहार की राजनीति का नया अध्याय लिख सकता है।

4 घंटे बाद की ये सूची न सिर्फ उम्मीदवारों के नाम तय करेगी, बल्कि राजनीतिक समीकरण, जन-उम्मीदें और जनसुराज की छवि — सभी को प्रभावित करेगी। YB गिरी, K. C. सिन्हा और रितेश पांडेय जैसी नामों की चर्चाएँ इस सूची को और रोचक बना देती हैं।

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