हर घर को नौकरी” का वादा: तेजस्वी यादव का मास्टरस्ट्रोक चुनावी प्लान!
तेजस्वी यादव ने पटना में एक बड़े जनसभा के दौरान ऐलान किया कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो बिहार का हर घर नौकरी वाला बनेगा। उन्होंने कहा, “हमने वादा किया था, निभाया भी। अब इसे और आगे बढ़ाने का वक्त है।”
यह वादा बड़े पैमाने पर चर्चा में है — समर्थक इसे युवाओं को रोजगार देने का मजबूत कदम मान रहे हैं, तो आलोचक इसे अव्यवहारिक और कृत्रिम करार दे रहे हैं। इस लेख में हम इस योजना की ज़रूरत, चुनौतियाँ, संभावनाएँ और राजनीतिक महत्व का विश्लेषण करेंगे।
बिहार चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव का बड़ा दांव, युवाओं के लिए उम्मीद की किरण
बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई है। जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आ रहे हैं, नेता अपने-अपने वादों और योजनाओं के साथ जनता को लुभाने की तैयारी में हैं। इस बीच राजद (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने अपने पुराने लेकिन सबसे प्रभावशाली वादे को दोहराया है — “हर घर को नौकरी”।
तेजस्वी यादव का फोकस — युवाओं को रोजगार
बिहार की राजनीति में युवाओं का बड़ा वर्ग हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता आया है। राज्य की लगभग 60% आबादी 35 साल से कम उम्र की है। ऐसे में रोजगार और नौकरी जैसे मुद्दे चुनावी हवा को एकदम बदल सकते हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी प्राथमिकता सिर्फ सत्ता में आना नहीं है, बल्कि “रोजगार क्रांति” लाना है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कार्यकाल में उन्होंने लाखों युवाओं को सरकारी नौकरी दी और अब वे हर परिवार में कम से कम एक सदस्य को नौकरी देने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
“हर घर को नौकरी” — सिर्फ वादा नहीं, मिशन
तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में कहा —
“हमारा संकल्प है कि बिहार का कोई भी घर बेरोजगार न रहे। हर घर से एक व्यक्ति को हम नौकरी देंगे, चाहे वह सरकारी हो या निजी सेक्टर में। यह हमारा वादा नहीं, मिशन है।”तेजस्वी यादव
उन्होंने बताया कि ‘हर घर को नौकरी योजना’ के तहत सरकार स्थानीय उद्योग, MSME, स्टार्टअप, और कृषि आधारित रोजगार को बढ़ावा देगी। इसके अलावा आईटी, शिक्षा, और हेल्थ सेक्टर में नए अवसर खोले जाएंगे।

- न्यूलॉ / अधिनियम प्रस्ताव
- तेजस्वी का कहना है कि सरकार बनने के 20 दिन में एक अधिनियम (कानून) लाया जाएगा, जिसके ज़रिए यह गारंटी कानूनी रूप से पक्की होगी।
2. समयसीमा: 20 महीने
इस अधिनियम के लागू होते ही सरकार को 20 महीने के भीतर हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देना पूरा करना होगा।
3. लक्षित परिवारों की स्थिति
यह योजना उन परिवारों को लक्षित करती है जहाँ किसी को सरकारी नौकरी नहीं है। तेजस्वी ने कहा कि “जिस परिवार में नौकरी नहीं है, वहाँ से एक को नौकरी पक्की” होगी।
4. निवासी-नीति / 100% डोमिसाइल नीति
तेजस्वी ने यह भी कहा है कि राज्य में 100% डोमिसाइल नीति लागू होगी — यानी सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता बिहार निवासियों को दी जाएगी।तेजस्वी यादव
अतः यह वादा न सिर्फ नौकरी देने का है, बल्कि यह सुनिश्चित करने का कि बाहरी व्यक्तियों को नौकरी न मिले, जब राज्य के ही युवाओं में बेरोजगारी है।
5. पहले का रिकॉर्ड और दावे
• तेजस्वी दावा करते हैं कि वे चुनाव विजयी होने पर पहले चरण में 10 लाख सरकारी नौकरियाँ देंगे।
• उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछली बार, 17 महीनों में उन्होंने 5 लाख नौकरी दिलाई थीं।
• इस वाचा को “नौकरी का नवजागरण” नाम दिया गया है। तेजस्वी यादव

क्यों यह योजना महत्वपूर्ण है
- बेरोजगारी और युवा समस्या
बिहार में बेरोजगारी और युवा पलायन बड़े मसले हैं। राज्य के छात्रों और युवाओं को रोज़गार नहीं मिलता, और वे अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हैं। इस स्थिति में “हर घर को नौकरी” का वादा उनकी अपेक्षाओं को सीधे लक्ष्य करता है। - राजनीतिक रणनीति
इस वादे की चाप-शक्ति चुनावी माहौल में अधिक है। इसे जनता-आकर्षक घोषणा माना जा सकता है जो मध्यम और निचले आय वर्ग को भी जोड़ सके। विपक्षी दलों पर भी दबाव बनेगा कि वे भी रोजगार-वादा करें। - ग्राफ़िक्स व प्रचार टूल
यह वादा प्रचार सामग्री, पोस्टर, सोशल मीडिया, रैलियों आदि में आकर्षक विषय बन जाएगा — “हर घर जॉब” स्लोगन बेहद प्रत्यक्ष एवंEasy To Grasp है।तेजस्वी यादव - समाज में अपेक्षा और न्याय
सामाजिक समानता और न्याय के विचार से, यदि यह योजना सफल हो जाए, तो यह एक नया मानक बन सकता है — जहां राज्य यह गारंटी देता है कि किसी को नौकरी नहीं मिले यह दुर्लभ हो।
हर घर को नौकरी” और अन्य सरकारी योजनाएँ — कैसे एक दूसरे से जुड़े?
जब राज्य सरकार ऐसी दिशा में कदम बढ़ाएगी, तो उसे अन्य योजना एवं स्कीमों से समन्वय करना पड़ेगा। उदाहरण स्वरूप:
- महिला रोजगार योजना: बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना शुरू की है, जिसमें हर परिवार की एक महिला को ₹10,000 की सहायता दी जाएगी और आगे 2 लाख तक की राशि प्रदान की जाएगी।
- यदि “हर घर को नौकरी” योजना लागू हुई तो यह महिला योजना एक पूरक काम कर सकती है — महिलाओं को स्वरोजगार या सरकारी नौकरी की शुरुआत।तेजस्वी यादव
- मुख्यमंत्री उद्यमी योजना: युवाओं को स्वरोजगार के लिए सरकार अधिकतम ₹10 लाख तक की सहायता प्रदान करती है।
- इस रोजगार गारंटी योजना को इन योजनाओं से जोड़ कर, कुछ परिवारों को सरकारी नौकरी न मिले तो उन्हें स्वरोजगार अवसर दिए जा सकते हैं।तेजस्वी यादव
इस तरह, “हर घर को नौकरी” सिर्फ एक वादा न रह कर, एक पूरे रोजगार तंत्र (ecosystem) की शुरुआत बन सकती है।
समयरेखा
- 20 दिन में अधिनियम — सरकार बनने के बाद पहला कदम कानून पास करना।
- 20 महीने में लागू करना — कानून पारित होने के बाद 20 महीने के भीतर जितनी नौकरियाँ देना तय है, उसे पूरा करना।
पात्रता और लक्ष्य समूह
- वे परिवार जिनके पास अभी तक कोई सरकारी नौकरी नहीं है।
- शिक्षा, कौशल, योग्यता के आधार पर उप-श्रेणी विभाजन।
- प्राथमिकता: युवाओं, पिछड़ों, दिव्यांग वर्गों को दी जाएगी।
- बिहार निवासियों को प्राथमिकता — बाहरी राज्यों के आवेदकों को सीमित अवसर।
भर्ती प्रक्रिया और संरचना
- विभागों में रिक्त पदों की सटीक सूची तैयार करना।
- परीक्षा / चयन / दस्तावेज़ सत्यापन / मेरिट – सभी प्रक्रियाएं पारदर्शी और समयबद्ध।
- चयनितों को प्रशिक्षण देना — यदि आवश्यक हो तो स्किल ट्रेनिंग।
- विभागों में नियुक्ति और सेवा बंधन।
- निगरानी, शिकायत-निवारण मंच, रिपोर्टिंग तंत्र।

चुनावी माहौल में बुधवार (09 अक्टूबर 2025) को राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक जोरदार घोषणापत्र पेश किया, जिसने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी। उनका वादा है — “हर घर को नौकरी”। यानी, यदि उनकी सरकार बने तो उस परिवार में जिस किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है, वहाँ से कम से कम एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। तेजस्वी ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए सरकार बनने के 20 दिन के अंदर एक कानून लाया जाएगा और 20 महीने के भीतर इस वादे को पूरा कर लिया जाएगा।
अन्य प्रावधान
- दिव्यांगों के लिए आरक्षण (5 %) और दिव्यांग मंत्रालय / आयोग का गठन।
- संवर्धन प्रावधान: यदि नौकरी नहीं दिया जा सके, तो वैकल्पिक स्वरोजगार अवसर।
- नियंत्रण तंत्र: ऑनलाइन पोर्टल, लोक शिकायत प्रणाली, समयसीमा उल्लंघन पर दंड प्रावधान आदि।
योजना की रूपरेखा
उद्देश्य और लक्ष्य
“हर घर को नौकरी” योजना का मूल उद्देश्य है — राज्य के प्रत्येक परिवार को कम से कम एक सरकारी नौकरी देना, चाहे वह ग्रामीण इलाका हो, शहरी क्षेत्र हो या पिछड़ा क्षेत्र हो। इस योजना के माध्यम से यह संदेश भी देना है कि सरकार सबका साथ ले कर चलेगी, और बेरोजगारी को राज्य स्तर पर चुनौती देने की पहल करेगी।तेजस्वी यादव
विधायी गारंटी
तेजस्वी का कहना है कि यह वादा सिर्फ घोषणापत्र तक सीमित न रह जाए — इसे कानून (अधिनियम) के रूप में लाया जाएगा। यह कानून यह सुनिश्चित करेगा कि सरकार और अधिकारियों की ज़िम्मेदारी बने और इसे लागू करना बाध्यकारी हो जाए।
महत्व और जनता की अपेक्षा:
बेरोजगारी की समस्या और सामाजिक पीड़ा
बिहार में बड़ी संख्या में युवा, पढ़े-लिखे नागरिक भी लंबे समय तक बेरोज़गार रहते हैं। सामाजिक दबाव, आर्थिक अभाव, आत्मसम्मान की चुनौती — ये सब युवाओं को विचलित करते हैं। इस समस्या का सीधा निवारण “हर घर को नौकरी” जैसा कदम हो सकता है जो युवक-युवतियों को उम्मीद देगा।
विश्वास और राजनीतिक विश्वास
जब नेता बड़े वादे करते हैं — और यदि वे उन्हें पूरा करें — तो जनता का भरोसा बढ़ता है। यह विश्वास दीर्घकालीन राजनीतिक समर्थन में तब्दील हो सकता है।तेजस्वी यादव
चुनावी रणनीति और जनाधार
इस वादे के ज़रिए तेजस्वी युवा वोटों, मध्यम वर्ग और ग्रामीण जनता को जोड़ सकते हैं। विरोधियों के वादों की तुलना में यह एक ‘असली’ और ‘ठोस’ वादा दिखाई देता है।
सामाजिक संदेश
यह नारा भेजता है कि राज्य यह कहता है — “हम राज्य के हर नागरिक को सम्मान देंगे, उनमें से हर एक को काम मिलेगा।” यह समानता और सामाजिक न्याय की छवि मजबूत करता है।
निष्कर्ष और सुझाव
हर घर को नौकरी” योजना एक महत्वाकांक्षी और साहसिक वादा है — काल्पनिक नहीं, बल्कि व्यवहार में उतारने योग्य प्रयास, यदि सही रणनीति, संसाधन और राजनीतिक इच्छाशक्ति हो। यदि इसे सकुशल लागू किया जाए, तो यह बिहार के युवाओं को नई दिशा दे सकता है, पलायन को रोके, विश्वास जगाए और राज्य की छवि बदल दे।तेजस्वी यादव
लेकिन इसके लिए सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि ठोस कार्ययोजना, पारदर्शिता, समयबद्धता, निगरानी और जनता का विश्वास ज़रूरी है। यदि योजना अधूरी रह जाए, तो यह दशक तक सवालों का निशाना बनेगी। यदि इसे सही रोडमैप, संसाधन और राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ लागू किया जाए, तो यह युवाओं को आशा दे सकता है और बिहार की राजनीति में बदलाव ला सकता है। लेकिन इसके लिए चुनौती (संख्यात्मक, वित्तीय और प्रक्रिया) कम नहीं है।


















