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अनंत सिंह करेंगे 14 अक्टूबर को मोकामा से नामांकन — बिहार राजनीति में नई हलचल

अनंत सिंह

बाढ़ के बाहुबली अनंत सिंह ने 14 अक्टूबर को मोकामा सीट से नॉमिनेशन करने करने का ऐलान कर दिया है। अभी एनडीए में सीट बंटवारा और जेडीयू की सूची की घोषणा अभी नहीं हुई है।

अनंत सिंह

Fri, 10 Oct 2025 10:39 AM

देश-राजनीति की हलचल में एक बड़ा मोड़ आने वाला है — चर्चित नेता और पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह (अनंत सिंह) ने घोषणा की है कि वह 14 अक्टूबर 2025 को मोकामा विधानसभा क्षेत्र (Seat No. 178, बिहार) से JDU (जनता दल (यूनाइटेड)) के टिकट पर नामांकन करेंगे। यह खबर न केवल स्थानीय राजनीति को प्रभावित करेगी, बल्कि राज्य स्तर पर भी इसका प्रभाव देखा जाना तय है।

कौन हैं अनंत सिंह?

अनंत कुमार सिंह, लोकप्रिय नाम से “छोटे सरकार”, मोकामा की राजनीति के एक प्रभावशाली लेकिन विवादित चेहरा हैं।वे पहले JDU के नेता थे, बाद में RJD से जुड़े।2019 में उनकी घर से AK-47, ग्रेनेड आदि बरामद होने के आरोप लगे थे, और उन्हें इस मामले में दोषी ठहराया गया था।अगस्त 2024 में, पटना हाई कोर्ट ने उस हथियार-शपथ मामले में सुनाए गए दंड को रद्द कर दिया, और उन्हें रिहा किया गया।जनवरी 2025 में मोकामा क्षेत्र में हुई फायरिंग घटना में भी अनंत सिंह नाम आरोपी बने और बाद में उन्होंने स्वयं कोर्ट में सरेंडर किया।हाल ही में उनके खिलाफ दायर अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार हुई है।

नवीनतम घोषणा: 14 अक्टूबर नामांकन

8 अक्टूबर 2025 को समाचार के अनुसार यह पुष्टि हुई कि अनंत सिंह JDU के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ेंगे, और उनका नामांकन समारोह 14 अक्टूबर को होगा।

अपनी घोषणा में उन्होंने लिखा है:“लोकतंत्र के महापर्व #BiharElection2025 में मोकामा विधानसभा क्षेत्र 178 से हमारे नामांकन समारोह में आप सभी जनता मालिक सादर आमंत्रित हैं … आप सभी जनता मालिकों और समर्थकों से विनम्र निवेदन है अपना आशीर्वाद, स्नेह और समर्थन अवश्य प्रदान करें।”इस तरह, उनके राजनीतिक कमबैक की शुरुआत हो रही है — दीर्घकालीन विवादों और जेल के मामलों के बाद।

चुनौतियाँ और विवाद

मुद्दाविवरण / पहलू
अपराध और केस रिकॉर्डअनंत सिंह पर हत्या, हथियार रखरखाव, फायरिंग आदि कई मामलों में आरोप हैं।
लोक विश्वास और छविउनका जनाधार मजबूत माना जाता है, लेकिन उनके नाम जुड़ी बातें भी अक्सर मीडिया और विपक्ष की आलोचना का विषय रहती हैं।
पार्टी वापसी व विरोधJDU में उनकी वापसी को कुछ नेताओं ने विवादित माना है, यह सवाल उठाया गया कि अपराधी अभियुक्त को मोर्चे पर लाना पार्टी की साख को कैसे प्रभावित करेगा।
प्रतिद्वंद्वी और सुरक्षामोकामा क्षेत्र में सशक्त गिरोह जैसे “Sonu-Monu गैंग” विवादों में रहे हैं और पिछले फायरिंग मामलों में उनका नाम भी जुड़ा।

सीट बंटवारे पर तकरार जारी

अनंत सिंह का यह कदम ऐसे समय में आया है जब NDA गठबंधन (JDU और अन्य सहयोगी दलों) में सीटों के बंटवारे को लेकर आंतरिक खींचतान चल रही है। उनकी घोषणा से मोकामा सीट पर गठबंधन के भीतर स्थिति स्पष्ट हो गई है, लेकिन यह अन्य सीटों पर समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। अनंत सिंह की मुख्यधारा की राजनीति में सक्रियता 2025 बिहार विधानसभा चुनाव को और भी रोचक और चुनौतीपूर्ण बनाने वाली है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी वापसी बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर क्या असर डालती है, खासकर तब जब उनकी पत्नी खुद वर्तमान विधायक हैं और उनके परिवार का क्षेत्र में दबदबा कायम है।

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संभावित असर / विश्लेषण

1.राजनीतिक समीकरण में बदलाव

यदि अनंत सिंह चुनाव लड़ते हैं और उनकी छवि समर्थकों में कायम रहती है, तो यह बिहार की सियासी गठबंधनों और मुकाबलों पर असर डाल सकता है।

2.वोट बैंक और जातीय समीकरण

मोकामा क्षेत्र में जातीय ध्रुवीकरण और स्थानीय समीकरण मायने रखते हैं। उनके समर्थक उन्हें “एक जन प्रतिनिधि” के रूप में देखते हैं जो जमीन से जुड़ा है।

3.सुरक्षा-चिंता एवं कानून व्यवस्था

जोश में की गई फायरिंग और हिंसा की घटनाएँ चेतावनी देती हैं कि चुनावी अभियान शांतिपूर्ण नहीं रह सकता। प्रशासन एवं पुलिस को सतर्क रहना होगा।

4.पार्टी की स्वीकार्यता / आलोचना

JDU के लिए यह कदम मजबूती और जोखिम दोनों साथ लाएगा — एक ओर उन्हें एक लोकप्रिय चेहरा मिलेगा, दूसरी ओर विपक्ष और समाजद्रोही आलोचना बढ़ सकती है।

जनता का समर्थन और सोशल मीडिया पर ट्रेंड

अनंत सिंह के नामांकन की खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर #AnantSingh और #MokamaElection जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
उनके समर्थक ट्विटर (अब X) और फेसबुक पर “छोटे सरकार लौट आए” और “मोकामा का बेटा फिर मैदान में” जैसे नारे लिख रहे हैं।

फेसबुक कमेंट्स में लिखा गया:

“अनंत भैया न्याय के प्रतीक हैं, मोकामा को फिर से अपनी पहचान देंगे।”
“जनता मालिक का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ रहेगा।”

राजनीतिक समीकरणों में हलचल

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, अनंत सिंह की एंट्री से RJD और JDU दोनों के वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।
जहां RJD के लिए यह झटका माना जा रहा है, वहीं JDU को इससे मोकामा और आसपास के इलाकों में मजबूती मिल सकती है।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि अगर अनंत सिंह मैदान में सक्रिय हुए, तो चुनाव का समीकरण पूरी तरह बदल सकता है।

विपक्ष में बेचैनी, सहयोगियों में जोश

JDU समर्थक इस कदम को “जनाधार की वापसी” मान रहे हैं।
वहीं विपक्षी पार्टियाँ इसे “संगठन की नैतिक हार” बता रही हैं।
RJD नेताओं ने तंज कसते हुए कहा —

“जिन्हें अपराधी कहकर पार्टी से निकाला गया था, अब वही JDU का चेहरा बनेंगे।”

इसके जवाब में JDU के प्रवक्ताओं ने कहा —

“अनंत सिंह निर्दोष साबित हो चुके हैं, जनता ही उनका असली न्यायालय है।”

मोकामा की जनता की प्रतिक्रिया

मोकामा की गलियों और बाजारों में चर्चा जोरों पर है।
कई स्थानीय लोगों का कहना है कि अनंत सिंह का डर नहीं, बल्कि भरोसा चलता है।
उनके समर्थक मानते हैं कि उन्होंने क्षेत्र के विकास में काम किया है — सड़क, अस्पताल और शिक्षा में सुधार के लिए।

वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि उनके साथ कानून व्यवस्था को लेकर प्रशासन को सख्त रहना होगा।

संभावित मुकाबला

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मोकामा सीट पर मुकाबला तीन तरफा हो सकता है:

  1. JDU – अनंत सिंह के नेतृत्व में
  2. RJD – नए प्रत्याशी के साथ
  3. LJP (RV) – स्थानीय युवा उम्मीदवार के साथ

यदि ऐसा हुआ, तो मोकामा की सीट इस बार बिहार की सबसे चर्चित सीट बन जाएगी।

निष्कर्ष

14 अक्टूबर को होने वाला अनंत सिंह का नामांकन सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि बिहार की सियासत का नया अध्याय है।
जहाँ एक ओर जनता उन्हें “मोकामा का शेर” कहकर पुकारती है, वहीं विपक्ष उन्हें “विवादित चेहरा” बताता है।
अब देखना होगा कि जनता का फैसला क्या होता है — क्या “छोटे सरकार” की वापसी वाकई बिहार की राजनीति में नया इतिहास लिखेगी?यह न सिर्फ उनके राजनीतिक करियर की वापसी है, बल्कि बिहार राजनीति की दिशा पर भी असर डालने वाला कदम है।
आप इस खबर को ताज़ा अपडेट्स, स्थानीय प्रतिक्रियाएँ, समर्थकों और विरोधियों की बातें आदि के साथ बढ़ा सकते हैं।

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