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प्रियंका गांधी पटना में 2000 महिलाओं से करेंगी बात, मोतिहारी में जनसभा में होंगी शामिल

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प्रियंका गांधी का बिहार दौरा — 26 सितंबर 2025: एक नज़र

तारीख: 26 सितंबर 2025

स्थान: पटना → मोतिहारी (बिहार)

प्रियंका गांधी

परिचय

26 सितंबर 2025 को कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा बिहार में एक रणनीतिक दौरे पर हैं। यह दौरा विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस तथा महागठबंधन बिहार में महिलाओं औ मतदाताओं तक अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता है। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य है:

दौरे की रूपरेखा / कार्यक्रम

1.महिला संवाद (Women’s Dialogue) – पटना (सादकत आश्रम)

प्रियंका गांधी पटना में लगभग दो हजार महिलाओं के साथ संवाद करेंगी। इसमें विभिन्न पृष्ठभूमि से आई महिलाएं — आंगनबाड़ी सेविका, ASHA वर्कर्स, घरेलू कामगार, जीविका श्रमिक आदि — शामिल होंगी।

2.रैली — मोतिहारी (गांधी मैदान)

दोपहर बाद वह मोतिहारी जाएंगी और गांधी मैदान में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगी। इस रैली को कांग्रेस पार्टी ने विशेष महत्व दिया है क्योंकि मोतिहारी को एक रणनीतिक क्षेत्र माना जाता है और यह उनका पहला स्वतंत्र रैली आयोजन हो सकता है।

3.“हर घर अधिकार यात्रा” की शुरुआत

इस दिन से प्रियंका गांधी एक 10 दिवसीय “हर घर अधिकार यात्रा” की नींव रखेंगी, जिसका फोकस मुख्य रूप से उन विधानसभा क्षेत्रों पर होगा जिन्हें राहुल गांधी की “Voter Adhikar Yatra” ने नहीं छुआ। इस यात्रा का लक्ष्‍य अधिक से अधिक महिलाओं तक पहुंच बनाना है।

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विषय और संदेश

  • प्रियंका गांधी इस अभियान में खास तौर पर महिलाओं को केंद्र में रखेंगी — महिलाओं के मुद्दे, सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ, आंगनबाड़ी एवं जीविका सेविकाओं का प्रश्न प्रमुख होंगे।
  • “हर घर अधिकार” की घोषणा और उसके तहत जनता तक अधिकारों की बात करना, मतदाताओं को संवाद के ज़रिए जोड़ना इस दौरे की रणनीति है।
  • यह यात्रा पार्टी के समर्थन को मजबूत करने और विपक्षी गठबंधन (महागठबंधन) की सक्रियता को बनाए रखने की कोशिश है।
  • मोतिहारी को चुना जाना शायद इसलिए है क्योंकि यह भाजपा की जमीनी पकड़ वाला इलाका भी है — कांग्रेस यहां अपनी उपस्थिति दिखाना चाहती है।

चुनौतियाँ / आलोचना

  • कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इस दौरे को प्रचारात्मक कदम बताया है, जहाँ शब्दों से ज्यादा दिखावे की तूल दी जा सकती है। (उदाहरण: विपक्षी दलों द्वारा कटाक्ष)
  • प्रश्न उठता है कि इस प्रकार की रैलियाँ और यात्राएँ स्थायी प्रभाव छोड़ पाती हैं या नहीं, विशेषकर उन इलाकों में जहाँ कांग्रेस की जड़ें कम मजबूत हैं।
  • गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे और संगठनात्मक तालमेल भी एक बड़ा इशू है — यदि गठबंधन का एकसाथ काम नहीं हो, तो प्रचार का असर कम हो सकता है।

निष्कर्ष

प्रियंका गांधी का बिहार दौरा 26 सितंबर 2025 एक मोड़ साबित हो सकता है — अगर यह प्रभावी संवाद, मजबूत जनसमर्थन और नीति घोषणाओं के साथ जुड़ा हुआ हो। महिलाओं को फोकस में रखकर, कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह सिर्फ चुनावी रैली नहीं, बल्कि आम लोगों के दैनिक जीवन से जुड़े मुद्दे भी उठाने का संकल्प रखती है।

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